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2024 मुहूर्त: जानें शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त तिथि और समय!

Author: Vijay Pathak | Last Updated: Mon 2 Sep 2024 1:29:51 PM

एस्ट्रोकैंप के 2024 मुहूर्त लेख के माध्यम से हम आपको आने वाले साल की शुभ तिथियों एवं शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, जो किसी नए या मांगलिक कार्य को शुरू करने के लिए बेहद ज़रूरी मानी जाती है। इसके अलावा, हम आपको विभिन्न तरह के मुहूर्त, उनका महत्व और हिंदू धर्म में मुहूर्त देखने के पीछे की वजह व इनकी गणना करते समय बरती जानी वाली सावधानियों से भी रूबरू कराएंगे इसलिए इस लेख को अंत तक ज़रूर पढ़ें।

पढ़ें एस्ट्रोकैंप पर 2024 मुहूर्त (2024 Muhurat)

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वैदिक ज्योतिष मुहूर्त का महत्व

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सनातन धर्म में किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को शुरू करने से पहले शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखा जाता है। पौराणिक काल से ही मान्यता है कि शुभ मुहूर्त के दौरान किए गए कार्य से व्यक्ति को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। इसी कारण से हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोग किसी भी तरह के शुभ कार्य, धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ, विवाह, गृह प्रवेश आदि के लिए पंडित से शुभ मुहूर्त के बारे में अवश्य सलाह लेते हैं। साथ ही, संपत्ति और वाहन की खरीदारी या नए घर की नींव रखने जैसे कार्यों को करने से पहले भी शुभ मुहूर्त की जानकारी ली जाती है। वैदिक शास्त्र के अनुसार, शुभ मुहूर्त वह विशेष समय होता है, जब सौरमंडल में ग्रह और नक्षत्र की स्थिति अच्छी होती है। यही कारण है कि बाधा और समस्याओं को दूर रखने के लिए शुभ मुहूर्त का पालन किया जाता है।

आसान भाषा में जाने तो शुभ और मांगलिक कार्यों के शुभारंभ के लिए जो तिथि और समय का निर्धारण किया जाता है वह मुहूर्त कहलाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक शुभ और मांगलिक कार्य को शुरू करने के लिए एक निश्चित समय निर्धारित किया जाता है क्योंकि हर एक समय में ग्रहों और नक्षत्रों की चाल में सकारात्मक और नकारात्मक परिवर्तन होता रहता है और इनकी सकारात्मक चाल के आधार पर ही शुभ मुहूर्त तय किए जाते हैं।

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2024 मुहूर्त के प्रकार

  • अभिजीत मुहूर्त: सभी मुहूर्तों में अभिजीत मुहूर्त को सबसे शुभ और फलदायी माना गया है। कहा जाता है कि इस मुहूर्त में किए गए कार्य बेहद शुभ परिणाम देते हैं। प्रत्येक दिन दोपहर से करीब 24 मिनट पहले प्रारम्भ होकर दोपहर के 24 मिनट बाद तक रहकर समाप्त हो जाता है।
    • चौघड़िया: 2024 मुहूर्त में चौघड़िया मुहूर्त का विशेष स्थान है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी शुभ और मांगलिक कार्य के लिए कोई शुभ मुहूर्त न मिले तो इस मुहूर्त में किया जा सकता है।
  • होरा: यदि किसी कार्य को करना बेहद जरूरी हो लेकिन कोई मुहूर्त न मिल रहा हो तो ऐसी स्थिति में होरा चक्र की व्यवस्था बनाई गई है।
  • लग्न तालिका: हिंदू धर्म में मुंडन संस्कार, शादी-विवाह और गृह प्रवेश आदि सभी शुभ कार्यों के मुहूर्त के लिए शुभ लग्न देखना आवश्यक होता है।
  • गौरी शंकर पंचांग: गौरी शंकर पंचांग को नल्ला नेरम भी कहा जाता है। यह मुहूर्त सबसे शुभ माना जाता है और जो वांछित परिणाम देता है।
  • गुरु पुष्य योग: ज्योतिष के अनुसार, जब गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र होता है, तब यह दुर्लभ गुरु पुष्य योग बनता है। यदि किसी कार्य को करने के लिए पूरे वर्ष कोई भी मुहूर्त न मिले तो इस दिन वह कार्य बिना सोच-विचार के किया जा सकता है। गुरु पुष्य योग सभी योगों में प्रधान है।
  • रवि पुष्य योग: 27 नक्षत्रों में रवि पुष्य योग को एक माना गया है। रविवार और पुष्य नक्षत्र के संयोग को रवि पुष्य योग कहा जाता है। यदि आप किसी बिजनेस में निवेश करना चाहते हैं तो यह योग सबसे शुभ माना जाता है।
  • अमृत सिद्धि योग: ज्योतिष के अनुसार नक्षत्र के विशेष संयोजन से अमृत सिद्धि योग निर्मित होता है।मांगलिक कार्य के शुभ मुहूर्त के लिए इस योग को पहले स्थान प्राप्त है।
  • सर्वार्थ सिद्धि योग: वार और नक्षत्र के संयोग से जिस योग का निर्माण होता है उसे सर्वार्थ सिद्धि योग कहते हैं। यह योग सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है।

मांगलिक कार्य के लिए 2024 मुहूर्त की सूची

वर्ष 2024 मांगलिक कार्यों के लिहाज़ से बहुत शुभ रहने वाला है। 2024 मुहूर्त के अनुसार, नामकरण, उपनयन, अन्नप्राशन, जनेऊ गृह प्रवेश, कर्णवेध और विवाह आदि संस्कारों को संपन्न करने के लिए कौन सी तिथियां और समय होगा शुभ होगा आइए जानते हैं।

विवाह 2024 मुहूर्त: साल 2024 में विवाह 2024 मुहूर्त की शुभ तिथियों व मुहूर्त से संबंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

अन्नप्राशन 2024 मुहूर्त: साल 2024 में अन्नप्राशन 2024 मुहूर्त की शुभ तिथियों व मुहूर्त से संबंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

कर्णवेध 2024 मुहूर्त: साल 2024 में कर्णवेध 2024 मुहूर्त की शुभ तिथियों व मुहूर्त से संबंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

उपनयन 2024 मुहूर्त: साल 2024 में उपनयन 2024 मुहूर्त की शुभ तिथियों व मुहूर्त से संबंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

मुंडन 2024 मुहूर्त: साल 2024 में मुंडन 2024 मुहूर्त की शुभ तिथियों व मुहूर्त से संबंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

विद्यारंभ 2024 मुहूर्त: साल 2024 में विद्यारंभ 2024 मुहूर्त की शुभ तिथियों व मुहूर्त से संबंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

गृह प्रवेश 2024 मुहूर्त: साल 2024 में गृह प्रवेश 2024 मुहूर्त की शुभ तिथियों व मुहूर्त से संबंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

नामकरण 2024 मुहूर्त: साल 2024 में नामकरण 2024 मुहूर्त की शुभ तिथियों व मुहूर्त से संबंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

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शुभ और अशुभ मुहूर्तों की सूची

शास्त्रों में एक दिन में 30 मुहूर्तों के बारे में बताया गया है। दिन का सबसे पहला मुहूर्त होता है रुद्र। यह मुहूर्त सुबह 6 बजे से शुरू होता है। इसके बाद हर 48 मिनट बाद अलग अलग मुहूर्त आते हैं। आइए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं सभी शुभ और अशुभ मुहूर्तों तथा उनके गुणों के बारे में।

क्रमांक

मुहूर्त का नाम

मुहूर्त की प्रवृत्ति

1

रूद्र

अशुभ

2

आहि

अशुभ

3

मित्र

शुभ

4

पितृ

अशुभ

5

वसु

शुभ

6

वाराह

शुभ

7

विश्वेदेवा

शुभ

8

विधि

शुभ (सोमवार तथा शुक्रवार को छोड़कर)

9

सतमुखी

शुभ

10

पुरुहूत

अशुभ

11

वाहिनी

अशुभ

12

नक्तनकरा

अशुभ

13

वरुण

शुभ

14

अर्यमा

शुभ (रविवार को छोड़कर)

15

भग

अशुभ

16

गिरीश

अशुभ

17

अजपाद

अशुभ

18

अहिर-बुध्न्य

शुभ

19

पुष्य

शुभ

20

अश्विनी

शुभ

21

यम

अशुभ

22

अग्नि

शुभ

23

विधातृ

शुभ

24

कण्ड

शुभ

25

अदिति

शुभ

26

अति शुभ

अत्यंत शुभ

27

विष्णु

शुभ

28

द्युमद्गद्युति

शुभ

29

ब्रह्म

अत्यंत शुभ

30

समुद्रम

शुभ

2024 मुहूर्त की गणना

माना जाता है कि यदि कोई भी व्यक्ति मुहूर्त देखकर कोई कार्य की शुरुआत करता है तो उसे सफलता अवश्य मिलती है। वहीं इसके विपरीत अशुभ मुहूर्त में किये गए कार्यों का परिणाम सदैव अशुभ ही होता है। जिस तरह दिन रात में 24 घंटे 12 राशियां लग्न विचरण करती हैं उसी प्रकार दिन और रात के बीच 30 मुहूर्त भी घटित होते हैं, जिसका वर्णन ऊपर किया जा चुका है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ मुहूर्त निकालने के लिए तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण, नौ ग्रहों की स्थिति, मलमास, अधिक मास, शुक्र और गुरु अस्त, अशुभ योग, भद्रा, शुभ लग्न, शुभ योग तथा राहुकाल आदि बातों का ध्यान रखा जाता है क्योंकि इन्हीं के योग से शुभ मुहूर्त निकाला जाता है।

शुभ मुहूर्त की गणना करने के कई आधार होते हैं। जिसमें मुख्य रूप से हिंदू वैदिक ज्योतिष पंचांग की गणना, ग्रहों की चाल और स्थिति, सूर्योदय व सूर्यास्त का समय और शुभ नक्षत्र आदि होते हैं। हालांकि, अलग-अलग समारोह और आयोजनों के लिए मुहूर्त का वर्णन अलग-अलग तरह से किया गया है। मुहूर्त की गणना करते समय, इस बात का विशेष ध्यान देना चाहिए कि लग्न और चंद्रमा एक साथ मौजूद न हों और न ही पाप कर्तरी दोष का निर्माण हो रहा हो। वहीं, चंद्रमा के दूसरे भाव में लग्न मौजूद नहीं होना चाहिए और न ही चंद्रमा के बारहवें भाव में कोई पापी ग्रह विराजमान होना चाहिए।

2024 मुहूर्त: वैदिक पंचांग के महत्वपूर्ण अंग

वैदिक पंचांग में पांच बेहद महत्वपूर्ण अंगों का वर्णन किया गया है। पांच विशेष अंग हैं- नक्षत्र, तिथि, योग, करण और वार। किसी भी शुभ मुहूर्त की गणना के लिए पंचांग के पांच अंग की विशेष भूमिका निभाते हैं यह अंग है-तिथि, वार, नक्षत्र, योग व करण। इन पांच अंगों की मदद से निकाला गया शुभ समय ही शुभ मुहूर्त कहलाता है। जिसे किसी भी मांगलिक कार्य के लिए विशेष माना जाता है।

तिथि

शुभ मुहूर्त का पता लगाने के लिए तिथि के बारे में जानने बेहद जरूरी होता है। वैदिक पंचांग की एक तिथि सूर्योदय के साथ शुरू होती है अगले दिन सूर्योदय तक रहती है। कई बार एक ही दिन में दो तिथियां पड़ जाती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार एक माह में कुल 30 तिथियां होती हैं, जिनमें से कृष्ण और शुक्ल पक्ष की 15-15 तिथियां होती हैं। वर्ष 2024 के सभी शुभ मुहूर्त की गणना इन सभी तिथियों की स्पष्ट जानकारी के अनुसार ही की गई है।

क्रमांक

शुक्ल पक्ष

कृष्ण पक्ष

1

प्रतिपदा

प्रतिपदा

2

द्वितीया

द्वितीया

3

तृतीया

तृतीया

4

चतुर्थी,

चतुर्थी,

5

पंचमी

पंचमी

6

षष्ठी

षष्ठी

7

सप्तमी

सप्तमी

8

अष्टमी

अष्टमी

9

नवमी

नवमी

10

दशमी

दशमी

11

एकादशी

एकादशी

12

द्वादशी

द्वादशी

13

त्रयोदशी

त्रयोदशी

14

चतुर्दशी

चतुर्दशी

15

पूर्णिमा

अमावस्या

वार/ दिन

यह हम सभी जानते हैं कि एक सप्ताह में कुल सात दिन या कहे वार होते हैं। सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार। इनमें से हर एक वार का अपना-अपना एक विशेष महत्व है। वैदिक ज्योतिष में किसी भी शुभ मुहूर्त के लिए वार/दिन का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। सप्ताह के कुछ दिन ऐसे होते हैं, जिस दौरान कोई धार्मिक कार्य करने की मनाही होती है, जैसे कि मंगलवार और शनिवार का दिन। वहीं रविवार और गुरुवार का दिन कई मायनों में बेहद शुभ माना जाता है लेकिन इन दोनों में गुरुवार का दिन सबसे श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि गुरु की दिशा ईशान है और ईशान कोण में ही सभी देवता वास करते हैं।

नक्षत्र

जिस प्रकार 2024 मुहूर्त के लिए तिथि व वार का ध्यान रखा जाता है इसी प्रकार नक्षत्र का भी विशेष ध्यान दिया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्रों का जिक्र किया गया है, जो है- रोहिणी, अश्विनी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, भरणी, कृत्तिका, पुष्य, अश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, रेवती और श्रवण। चलिए जानते है सभी नक्षत्रों और उनके स्वामी के नाम।

नक्षत्र और उनके स्वामी ग्रह

क्रमांक

स्वामी ग्रह

नक्षत्रों

1

केतु

अश्विनी, मघा, मूल

2

शुक्र

भरणी, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा

3

सूर्य

कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा

4

चंद्र

रोहिणी, हस्त, श्रवण

5

मंगल

मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा

6

राहु

आर्द्रा, स्वाति, शतभिषा

7

बृहस्पति

पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद

8

शनि

पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद

9

बुध

आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती

योग

तिथि, वार व नक्षत्र के बाद आता है योग। पंचांग में 27 योग के बारे में बताया है। इन योगों का मुहूर्त के दौरान अपना अलग महत्व होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी 27 योगों में से 9 योगों को अशुभ, तो वहीं बाकी 9 योगों को बेहद शुभ माना जाता है। अशुभ योगों में कोई भी शुभ काम करना वर्जित होता है। माना जाता है कि इस दौरान किए गए कार्य का उचित फल प्राप्त नहीं होता है। चलिए एक नज़र डालते हैं 27 योगों और उनके स्वभाव पर:

शुभ योग

हर्षण, सिद्धि, वरीयान, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, ऐन्द्र, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, सुकर्मा, धृति, वृद्धि, ध्रुव,

अशुभ योग

शूल, गण्ड, व्याघात, विष्कुम्भ, अतिगण्ड, परिघ, वैधृति, वज्र, व्यतिपात

करण

सबसे अंत में आता है करण। शुभ मुहूर्त की गणना से पहले व्यक्ति के करण की जानकारी ज़रूर होनी चाहिए। बता दें कि एक तिथि में दो करण होते हैं, या यूं कहें कि तिथि का आधा भाग करण कहलाता है। एक करण तिथि के पूर्वार्ध में होता है और एक तिथि के उत्तरार्ध में और इस प्रकार हिन्दू पंचांग के अनुसार, कुल 11 करण होते हैं, जो इस प्रकार है- किस्तुघ्न, शकुनि, नाग, चतुष्पाद, बव, बालव, कौलव, गर, तैतिल, वणिज, विष्टि/भद्रा। इनमें से चार करण की प्रकृति स्थिर होती है, तो वहीं शेष करण चर प्रकृति के होते हैं। किसी भी शुभ मुहूर्त की गणना के दौरान करणों की स्थिति का आकलन करना भी बेहद ज़रूरी होता है। चलिए जानते हैं इन सभी 11 करणों के बारे में विस्तार से:

क्रमांक

करण के नाम

प्रकृति

1

किस्तुघ्न

स्थिर

2

बव

चर

3

बालव

चर

4

कौलव

चर

5

गर

चर

6

तैतिल

चर

7

वणिज

चर

8

विष्टि/भद्रा

चर

9

शकुनि

स्थिर

10

नाग

स्थिर

11

चतुष्पाद

स्थिर

किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य की शुरुआत करने के लिए ऊपर इस सभी करणों में से विष्टि करण/भद्रा करण को सबसे ज़्यादा अशुभ माना गया है इसलिए इस दौरान किसी भी काम को करने की मनाही होती है।

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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा ये लेख जरूर पसंद आया होगा। ऐसे ही और भी लेख के लिए बने रहिए एस्ट्रोकैंप के साथ। धन्यवाद !

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